इजराइल में खुफिया नाकामी की जांच होगी:मीडिया रिपोर्ट में दावा- ओवर कॉन्फिडेंस की शिकार थी इजराइली फौज, हमास को कम आंका गया

 जराइल-हमास के बीच जारी जंग का आज 31वां दिन है। इजराइल में 7 अक्टूबर को हमास के हमले इस जंग की वजह बने थे। अब बेंजामिन नेतन्याहू सरकार, इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) और इंटेलिजेंस एजेंसियां (मोसाद, मिलिट्री इंटेलिजेंस और लोकल नेटवर्क) जांच करने जा रही हैं कि आखिर 7 अक्टूबर को हमास इतने बड़े हमले करने में कामयाब कैसे हुआ।

इस बीच, इजराइल के अखबार ‘यरूशलम पोस्ट’ ने जांच के पॉइंट्स पर रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके मुताबिक- हमले की पहली और सबसे बड़ी वजह सेना का यह मुगालता था कि हमास के पास बड़े हमलों की ताकत ही नहीं है। यानी वो ओवर कॉन्फिडेंस की शिकार रही।

जांच के लिए कमीशन बनेगा
रिपोर्ट के मुताबिक- जांच में कुछ वक्त या कहें कुछ महीने लग सकते हैं। इसके लिए एक इन्क्वॉयरी कमीशन बनने जा रहा है। इसके सामने जांच के लिए जो पॉइंट्स रखे जाएंगे, उनकी कुछ जानकारी सामने आ रही है। कुछ बातों को तो फौज और इंटेलिजेंस एजेंसियां पहले ही मान चुकी हैं और कुछ पॉइंट्स ऐसे हैं, जिनका अभी तक किसी प्लेटफॉर्म पर जिक्र नहीं हुआ।

दरअसल, इजराइली सेना को ये लगता था कि गाजा में हमास कमजोर हो रहा है और वो किसी बड़े टकराव से बचेगा। उसका इस्लामिक जिहाद से भी विवाद चल रहा था। मई 2021 में भी इजराइल फौज ने गाजा में हमले किए थे। उसका ख्याल था कि उसने हमास के टनल नेटवर्क को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है, हालांकि ये उसकी गलतफहमी साबित हुई, क्योंकि टनल नेटवर्क को उस वक्त कोई खास नुकसान नहीं हुआ था।

यह तस्वीर यरूशलम पोस्ट ने जारी की है। इसमें इजराइली सेना के अफसर वॉर स्ट्रैटेजी रूम में अगले एक्शन के बारे में बातचीत कर रहे हैं।
यह तस्वीर यरूशलम पोस्ट ने जारी की है। इसमें इजराइली सेना के अफसर वॉर स्ट्रैटेजी रूम में अगले एक्शन के बारे में बातचीत कर रहे हैं।

फिलिस्तीनी अथॉरिटी पर जबरदस्त दबाव

  • अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बार फिर फिलिस्तीन अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास से मुलाकात की है। रामल्लाह में हुई इस मुलाकात के बारे में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका ने अब्बास पर जबरदस्त दबाव बनाया है।
  • अमेरिका चाहता है कि इजराइल गाजा में जल्द से जल्द ग्राउंड ऑपरेशन पूरा करे और हमास का खात्मा हो जाए। इसके बाद फिलिस्तीन अथॉरिटी को गाजा की भी कमान सौंपी जाए और वो अमेरिका के इशारे पर काम करे।
  • न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ ने इस बारे में अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट के एक अफसर से भी बात की है। इस अफसर ने कहा- इसमें कोई दो राय नहीं कि हम इस मुद्दे को अब ज्यादा लंबा नहीं खिंचने देंगे। हमास को खत्म किया जाएगा और गाजा में फिलिस्तीन अथॉरिटी को एडमिनिस्ट्रेशन ऑपरेशन की कमान दी जाएगी। इस बारे में एक पूरा प्लान तैयार किया जा चुका है। ब्लिंकन ने इसी वजह से 10 दिन में दूसरी बार अब्बास से मुलाकात की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बार फिर फिलिस्तीन अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास से मुलाकात की है। अमेरिका चाहता है कि फिलिस्तीन अथॉरिटी हमास के खात्मे के बाद गाजा की कमान संभाले।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बार फिर फिलिस्तीन अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास से मुलाकात की है। अमेरिका चाहता है कि फिलिस्तीन अथॉरिटी हमास के खात्मे के बाद गाजा की कमान संभाले।

लेबनान से इजराइल पर फिर हमला
इजराइली सेना ने रविवार रात माना कि उसके यिफ्ताह इलाके में लेबनान की तरफ से एक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल दागी गई है। मिसाइल हमले की वजह से एक आम नागरिक घायल हो गया। लेबनान से हुए इस हमले के कुछ देर बाद इजराइली सेना ने जबरदस्त जवाबी हमले किए। यह हमले उसी जगह किए गए, जहां से मिसाइल इजराइल की तरफ दागी गई थी।

इजराइली सेना ने रविवार को चार घंटे के लिए मीडिया को गाजा के हालात देखने की मंजूरी दी।यहां इजराइली सेना का ग्राउंड ऑपरेशन जारी है।
इजराइली सेना ने रविवार को चार घंटे के लिए मीडिया को गाजा के हालात देखने की मंजूरी दी।यहां इजराइली सेना का ग्राउंड ऑपरेशन जारी है।

गाजा में पहली बार पहुंचा मीडिया
इजराइली सेना ने रविवार को चार घंटे के लिए मीडिया को गाजा के हालात देखने की मंजूरी दी। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक- इस दौरान गाजा में तबाही साफ देखी जा सकती थी। स्कूल और धार्मिक स्थल खंडहर नजर आए।

इजराइली सेना के अफसर वेस्टर्न वर्ल्ड के जर्नलिस्ट्स को उत्तरी गाजा के उन हिस्सों में ले गए जहां जबरदस्त जंग हुई थी।

तीन रिफ्यूजी कैम्प्स पर हमला

अल जजीरा के मुताबिक, रविवार को इजराइली सेना ने 24 घंटे में तीन रिफ्यूजी कैंप पर हमला किया। इजराइल ने सबसे बड़े जबालिया कैंप के बाद अल-बुरेज और मघाजी कैंप पर हमला किया। सबसे बड़े जबालिया कैंप में 1.16 लाख लोगों ने शरण ली है। वहीं, अल बुरेज में 46 हजार शरणार्थी और मघाजी में 33 हजार रिफ्यूजी रह रहे हैं। 24 घंटे में हुए हमलों में कितने लोग मारे गए हैं फिलहाल इसकी जानकारी नहीं मिली है।